हाल ही में मीडिया में बड़ा खुलासा हुआ कि विजय माल्या, जोकि 9000 करोड़ की रकम यहाँ के बैंकों से लोन लेकर भाग गए हैं, उनके लोन का गारंटर एक ‘मनमोहन सिंह’ नाम का किसान है। मनमोहन नाम के एक किसान के दो बैंक खातों को कल ही सीज किया गया है, जिसमें 20000 और 4000 रुपये जमा थे।
इससे पहले कि लोग समझ पाते कि इतने गरीब किसान ने इतनी बड़ी रकम की गारंटी किस शर्त पर ले ली, और बैंक वाले मान कैसे गए, तीखी मिर्ची के हाथों महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे हैं, जो कुछ और ही कहानी बयान करते हैं।

दरअसल लोन लेने से पहले माल्या तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह से मिले थे, और उनसे गारंटी लेने की अपील की थी। इससे पहले कि मनमोहन सिंह सोनियाजी को फ़ोन करके अनुमति लेते, वहां राहुल गांधी उछल कूद करते आ गए। राहुल ने माल्या को सलाह दी कि किसी ‘किसान’ को गारंटर बना लो। न तो किसी को शक होगा, बन्दा आसानी से मान भी जाएगा, और एक किसान से रिकवरी का तो सवाल भी नहीं उठेगा।
मालया को आईडिया भा गया। जैसे ही उन्हें पता चला कि खुद राहुल के जीजाजी रोबर्ट वाड्रा एक ‘किसान’ हैं, वो झट से लोन वाला फॉर्म लेकर वाड्रा से साइन करवा लाये। लेकिन गलती से फॉर्म पर नाम मनमोहन सिंह का ही रह गया।
इस घटना के बाद खबर मिली है कि देश भर के सारे अमीर व्यापारी मंदिरों के बाहर और ट्रैफिक सिग्नल पर भिखारियों की चिरौरी करते हुए पाये गए हैं, ताकि उनको गारंटर बनाकर मोटी रकम लोन ले सकें, और विदेश भाग कर अय्याशी कर सकें।
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