
चाह नहीं मैं भारत के अन्य राज्यों में पाया जाऊं,
चाह नहीं मैं GDP -NDP किसी से तोला जाऊं,
चाह नहीं किसी इंडेक्स पर पहले आऊँ,
चाह नहीं मैं अन्य किसी के पास दिखूं, भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे छांट लेना ए लेखक, उस पत्र में तुम देना लेख,
वोट के खातिर भाषण देने जाएँ जहाँ वो ‘साहेब फेक’!
- ‘बड़बोला’ त्रिवेदी।
umdaa
Thanks!
गजबै तीखी है या मिर्ची ;-)
शुक्रिया :)