जम्मू-कश्मीर: ऊरी में हुए आतंकी हमले के बाद ताबड़तोड़ तीन-चार सौ उच्चस्तरीय बैठकें बुलाई जा चुकी हैं। पूर्व में पठानकोट, गुरदासपुर, पम्पोर इत्यादि हमले की रूटीन वे में कड़ी निंदा करने के बाद हाइबरनेट मोड में गयी सरकार और उसके ध्रुवीय भालू भकभका के जाग गए हैं। तमाम देशभक्त चैनलों के देशभक्त पत्रकारों ने पाकिस्तान को चौतरफा घेर लिया है। देश के नुक्कड़ से लेकर न्यूज़रूम की बहस के दवाब में सरकार हाई लेवल मीटिंग्स करने के सिवा कुछ कर नहीं पा रही। इन मीटिंग्स में प्रधानमंत्री समेत तमाम लोग टीवी-चैनलों की हमलावर गतिविधियों पे नज़र बनाये हुए हैं। ऐसे में पाक के खिलाफ क्या कुछ सिझ-पक रहा है इसकी सही जानकारी देने की जिम्मेवारी तीखी मिर्ची ने उठायी है।

हमें पुख्ता स्रोतों से ये जानकारी हासिल हुई है कि सरकार ने साहित्य अकादमी और राजभाषा प्रभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की एक बड़ी टीम को जल्द से जल्द “कड़ी निंदा” का कोई ठोस विकल्प ढूंढने की जिम्मेदारी सौंपी है। सरकार को लगने लगा है कि हर आतंकी हमले के बाद की उसकी कड़ी निंदा, कड़ी से कड़ी निंदा इत्यादि शब्दावलियों से भारत के लोग उकता गये हैं। सरकार की चिंता जायज भी है। सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी को निंदेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह को निंदा मामा, NDA सरकार को niNDA सरकार जैसे नामों से पुकारा जाने लगा है। मसलन सरकार ने साहित्य अकादमी के अधिकारियों को, अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूंढते किसी बाप की जूती से भी ज्यादा घिस चुकी, इस शब्दावली के विकल्प तलाशने की खातिर उच्च कोटि के लेखकों-विद्वानों से संपर्क साधने को कहा है। इसी क्रम में ये उच्चस्तरीय बैठकें लगातार बुलाई जा रही हैं।
हमारे संवाददाता के डिफ़ंक्ट मिनिस्टर श्री मनबहलाव पहननिक्कर से इन बैठकों में हुई प्रगति के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि “कड़ी निंदा को त्यागकर नयी शब्दावली ढूंढ निकालने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। हमारी सरकार दूरदर्शी सरकार है। इससे पहले कि देश में कोई और आतंकी हमला हो, हम किसी अन्य सटीक शब्दावली का चयन अवश्य कर लेंगे। बहरहाल बतौर विकल्प अबतक हमें आकाश भर आलोचना, भैरव स्वर में भर्त्सना, मुक्तकंठ मलामत, घोर प्रतिवाद जैसी शब्दावलियों का सुझाव प्राप्त हुआ है। सरकार इस पर जल्द ही कोई अंतिम फैसला लेगी।”
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